चित्तौड़गढ़। हिन्दू पंचांग के अनुसार, 11 जुलाई 2025 से भगवान शिव को समर्पित पवित्र सावन माह (श्रावण मास) की शुरुआत हो रही है। यह माह भक्ति, व्रत, संयम और शिव आराधना का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पूरे महीने में शिवभक्त भगवान शिव का जलाभिषेक, व्रत और रुद्राभिषेक कर पुण्य अर्जित करते हैं।
– सावन में क्या करें:
शिवलिंग पर जल, दूध व बेलपत्र चढ़ाएं – यह भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं मानी जाती हैं।
सोमवार का व्रत रखें – सावन के सोमवार विशेष फलदायी माने जाते हैं।
रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप करें – इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा व शांति आती है।
गंगा स्नान और दान-पुण्य करें – विशेषकर सोमवार व पूर्णिमा को।
सात्विक भोजन ग्रहण करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें।
– सावन में क्या न करें:
मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन न करें – यह महीने को अशुद्ध बनाता है।
झूठ, क्रोध व कटु वचन से बचें – साधना व शांति का समय है।
बाल और नाखून न कटवाएं – परंपराओं के अनुसार वर्जित माना गया है। सोमवार को तामसिक भोजन न करें।
* खास दिन:
पहला सोमवार – 14 जुलाई
हरियाली अमावस्या – 25 जुलाई
नाग पंचमी – 31 जुलाई
रक्षा बंधन / सावन पूर्णिमा – 9 अगस्त
– धार्मिक महत्व:
सावन माह में शिव-पार्वती विवाह कथा, समुद्र मंथन और कांवड़ यात्रा जैसे कई धार्मिक प्रसंग जुड़े हुए हैं। चित्तौड़गढ़ में भी प्रतिवर्ष कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
– यह महीना सिर्फ धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और संयम का प्रतीक भी है। सावन का सदुपयोग करें, आस्था को शक्ति बनाएं।
इस वर्ष 2025 के सावन माह की 7 खास बातें 🕉️
1. सावन की शुरुआत शुक्रवार से (11 जुलाई) हो रही है
इस वर्ष सावन माह की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है, जो मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इससे इस पूरे महीने में धन, समृद्धि और शांति की विशेष कामना मानी जा रही है।
2. 5 सोमवार का संयोग (पंच सोमवारी)
इस साल सावन में 5 सोमवार आ रहे हैं – जो बहुत ही शुभ माना जाता है।
तिथियां:
14 जुलाई
21 जुलाई
28 जुलाई
4 अगस्त
11 अगस्त
3. कांवड़ यात्रा होगी भव्य और विशाल
2024 में मानसून की बाधा और प्रशासनिक कारणों से सीमित रही कांवड़ यात्रा इस बार पूरे जोश में होगी।
चित्तौड़गढ़ समेत राजस्थान के कई जिलों से कांवड़िए हरिद्वार और नीलकंठ के लिए रवाना होंगे।
4. हरियाली अमावस्या (25 जुलाई) का विशेष योग
इस दिन वृक्षारोपण और शिव-पार्वती की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।
चित्तौड़गढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत मेलों और झूलों का आयोजन भी होता है।
5. 31 जुलाई को नाग पंचमी – शिव पूजन के लिए अत्यंत शुभ दिन
नाग देवता भगवान शिव के गले का श्रृंगार माने जाते हैं। इस दिन नागों की पूजा के साथ-साथ शिवलिंग पर दूध अर्पण का विशेष महत्व है।
6. शिव-पार्वती विवाह तिथि – 5 अगस्त
मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन शिव विवाह की कथा का पाठ, स्त्रियों द्वारा व्रत और पूजा का विशेष महत्व है।
7. रक्षा बंधन – सावन की पूर्णिमा (9 अगस्त)
सावन की समाप्ति रक्षा बंधन के दिन होती है। यह भाई-बहन के प्रेम का पर्व भी है और शिव परिवार की संपूर्ण पूजा का भी विशेष अवसर है।
– इस बार का सावन न केवल पंच सोमवारी का विशेष संयोग लेकर आया है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी यह महीना अत्यंत शुभ और शक्तिशाली माना जा रहा है। शिवभक्तों के लिए यह आध्यात्मिक साधना, तप और आस्था का उत्तम अवसर है।
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