Duty Magistrate appointed to maintain peace and order during the festive season – District Magistrate issued instructions
चित्तौड़गढ़, 4 जुलाई। जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन ने आगामी जुलाई-अगस्त माह में मनाए जाने वाले प्रमुख धार्मिक पर्वों एवं आयोजनों को देखते हुए जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं।
इन आदेशों के तहत मोहर्रम, कांवड़ यात्रा, हरियाली अमावस्या (24 जुलाई) तथा अन्य धार्मिक व पर्यटन स्थलों पर संभावित भीड़ को देखते हुए समुचित सुरक्षा प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख स्थानों हेतु ड्यूटी मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति:
चित्तौड़गढ़ दुर्ग – उपखंड मजिस्ट्रेट, चित्तौड़गढ़
श्री सांवलियाजी, मंडफिया – उपखंड मजिस्ट्रेट, भदेसर
निलिया महादेव – तहसीलदार व कार्यपालक मजिस्ट्रेट, बस्सी
मातृकुंडिया – उपखंड मजिस्ट्रेट, राशमी
मेनाल – उपखंड मजिस्ट्रेट, बेगूं
इन अधिकारियों को संबंधित मेलों में भीड़ नियंत्रण, कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही, संबंधित पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, भू-अभिलेख निरीक्षक आदि को भी मुख्यालय पर अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय पर ज़ोर
जिला मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट किया कि सभी अधिकारी बिना पूर्व अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे और स्थानीय पुलिस अधिकारियों से समन्वय कर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में तुरंत नियंत्रणात्मक कार्रवाई करते हुए पुलिस कंट्रोल रूम और एडीएम (प्रशासन) को सूचना दी जाएगी।
प्रभा गौतम को कानून व्यवस्था की कमान
अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) प्रभा गौतम को कानून व्यवस्था प्रबंधन का प्रभारी नियुक्त किया गया है। उन्हें सतत निगरानी, प्रभावी समन्वय और जिला मजिस्ट्रेट को त्वरित रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे त्योहारी सीजन के दौरान परस्पर तालमेल बनाकर जिले में शांति, सुरक्षा और सुव्यवस्था बनाए रखें।
सिद्धांततः और आदेशों के अनुसार —
जिन अधिकारियों को ड्यूटी मजिस्ट्रेट या मौका मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जाता है, उन्हें त्यौहार वाले दिन अपने क्षेत्र में मौजूद रहना अनिवार्य होता है। आदेशों में साफ तौर पर लिखा होता है कि:
बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ सकते
सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी
पुलिस से समन्वय करना होगा
कोई अप्रिय घटना हो तो तत्काल रिपोर्ट करें
🟠 लेकिन हकीकत में क्या होता है?
👉 बहुत बार ये अधिकारी फील्ड में नहीं दिखते, खासकर अगर सब कुछ शांतिपूर्वक चल रहा हो।
👉 कुछ अधिकारी फोन पर ही सब संभाल लेते हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि आम जनता, पुलिस और वॉलंटियर्स ही ज्यादातर व्यवस्थाओं को संभालते हैं।
👉 जब तक कोई बड़ा विवाद या झगड़ा न हो जाए, तब तक कई बार अधिकारी मौके पर नहीं पहुँचते।
नतीजा क्या होता है?
जनता सोचती है कि “कागजों में अधिकारी हैं, लेकिन असली बोझ हम पर है।”
अगर कोई विवाद होता है, तो फिर प्रशासन ऐक्टिव मोड में आता है — लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है।
“हुक्म तो जारी होता है, लेकिन हाज़िरी की हकीकत उतनी सख्त नहीं होती।”
अधिकारी मौजूद रहते हैं या नहीं — यह बहुत कुछ उनकी कार्यशैली, स्थानीय प्रशासन की चुस्ती और घटनास्थल की संवेदनशीलता पर निर्भर करता है।
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