Court stays the election of Anjuman Sansthan
चित्तौड़गढ़। अंजुमन मिलते इस्लामिया संस्थान के आज होने वाले चुनाव पर सिविल न्यायालय ने प्रथम द्रष्ट्या चुनाव प्रक्रिया की वैधता को अंतिम रूप से निर्धारित करने तक अंतरिम रूप से रोक लगा दी गई है।
याचिकाकर्ता इरशाद मोहम्मद शेख, ताहिर हुसैन, उमर फारूक गौरी द्वारा न्यायालय में शहर में अंजुमन संस्थान के सदर पद के निर्वाचन, निर्वाचन की प्रक्रिया व निर्वाचन कमेटी की वैधता को संस्थान के विधान के विपरीत होना बताकर इस चुनाव की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से न्यायालय से रोकने की मांग की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नरेश शर्मा, यशोदा गर्ग ने बताया कि संस्थान की तत्कालीन कार्यकारिणी द्वारा संस्थान के विधान के विपरीत जाकर तीन सदस्यीय चुनाव कमेटी के बजाय मनमर्जी से 6 सदस्यों की एक कमेटी बनाकर कमेटी को निर्वाचन की घोषणा के बाद मतदाता सूची बनाने का अधिकार दे दिया गया है, जबकि संस्थान के पंजीकृत विधान जो कि संस्थान की पूर्ववर्ती कार्यकारिणी द्वारा वर्ष 2001 में तैयार कर पंजीयन कराया गया था, उसे वर्ष 2005 व 2012 में संशोधित भी कराया गया था, विहित निर्वाचन के नियमों के खिलाफ जाकर निर्वाचन कमेटी द्वारा मन माफिक रूप से करीब 1800 से अधिक सदस्य बना दिए गए हैं और यह सभी सदस्य प्रति सदस्य 500 रुपए की सदस्यता शुल्क के आधार पर संस्था के सदर पद पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों द्वारा अपने पक्ष में अधिक से अधिक मतदान कराने के उद्देश्य से बनाए गए हैं, जबकि संस्थान के पंजीकृत विधान में निर्वाचन अधिकारी व कमेटी को नई सदस्यता एवं मतदाता सूची तैयार करने का कोई अधिकार नहीं है। न्यायालय ने इन सभी तथ्यों को सुनने के बाद संस्थान के विधान को देखने के बाद इस तथ्य को प्रथम द्रष्टया प्रमाणित माना की याचिकाकर्ता गण ने अपनी याचिका में अंजुमन संस्थान के निर्वाचन प्रक्रिया व निर्वाचन मंडल के संबंध में जो आधार उठाएं वह प्रथम द्रष्टया प्रमाणित विधान के निर्माण अनुसार हैं। न्यायालय द्वारा अध्यक्ष अंजुमन संस्थान जमील मोहम्मद, चुनाव प्रभारी मोहम्मद सिद्दीक, जिला कलेक्टर, रजिस्ट्रार, सहकारी समिति के विरुद्ध अपनायी जा रही निर्वाचन प्रक्रिया व निर्वाचित परिणामों पर स्थगन आदेश जारी करते हुए उक्त सभी को न्यायालय में उपस्थित होने हेतु नोटिस जारी किए जाने का आदेश किया गया है।
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