चित्तौड़गढ़। स्थायी लोक अदालत द्वारा आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंश्योरेंस कंपनी के विरूद्ध प्रार्थी को 20 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दिये जाने के आदेश के निर्णय के विरूद्ध कम्पनी द्वारा हाईकोर्ट में अपील किये जाने पर हाईकोर्ट द्वारा अधिनस्थ न्यायालय द्वारा पारित आदेश को यथावत रखकर बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी।
प्रकरणानुसार परिवादी राशमी तहसील के सोमरवालों का खेड़ा निवासी रोशनलाल पिता गोवर्धनलाल जाट ने अधिवक्तागण भगवतसिंह गिलुण्डिया, कुलदीप सुहालका, राजकुमार वैष्णव के मार्फत एक परिवाद चित्तौड़गढ़ में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इन्श्योरेंस कंपनी के विरूद्ध इस आशय का पेश किया कि परिवाद द्वारा परिवादी के पिता गोवर्धनलाल जाट ने अपने जीवनकाल में एक बीमा पॉलीसी विपक्षी बीमा कंपनी से जारी करवाई थी। जिसके अनुसार दुर्घटना मृत्यु पर 20 लाख रूपये देय योग्य थे। गोवर्धनलाल जाट की रोजाना की तरह नोहरे के पास रजका को पानी देने के दौरान ट्यूबवेल मोटर चलाते समय करंट लगने से दुर्घटनावश मृत्यु हो गई। नोमीनी होने के कारण परिवादी ने कम्पनी से क्लेम आवेदन पेश किया जिसे बीमा कम्पनी द्वारा पुरानी बीमारी से मृत्यु होना बता कर खारीज कर दिया गया।
स्थायी लोक अदालक चित्तौड़गढ़ द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद परिवादी अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए विपक्षी बीमा कम्पनी को 20 लाख रुपये मय ब्याज एवं हर्जाने के परिवादी को अदा करने के आदेश सुनाये थे। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा निर्णय की अपील उच्च न्यायालय में की गई जिस पर उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायालय स्थायी लोक अदालक द्वारा पारित आदेश को यथावत रखकर बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के क्षतिपूर्ति का आदेश बीमा कंपनी के विरूद्ध यथावत
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