क्या अमेरिकी बॉम्बर ने ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह  किया है?

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Did American bombers destroy Iran’s nuclear sites??

वाशिंगटन/तेहरान, 26 जून 2025। ईरान की परमाणु योजना पर नियंत्रण के उद्देश्य से हाल ही में एक बड़े सैन्य विवाद ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर हलचल मचाई है। हालांकि अमेरिकी बॉम्बर द्वारा ईरान में सीधे हमले की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, अमेरिका की भूमिका इस घातक ऑपरेशन में अप्रत्यक्ष लेकिन निर्णायक साबित हुई है।

इज़रायल का नेतृत्व, अमेरिका का समर्थन

13 जून को इज़राइल ने “Operation Rising Lion” नामक ऑपरेशन के अंतर्गत नतांज़, फोर्डो और इस्फहान समेत लगभग 100 स्थलों पर विमान हमले चलाए, जिसमें लगभग 200 विमान इस्तेमाल हुए ।

ये हमले मेरामबंकर-बस्टर लाइटवेट बमों और गाइडेड मिसाइलों द्वारा किए गए थे ।

अमेरिका ने GBU‑57 “Massive Ordnance Penetrator” (MOP) जैसे भारी बंकर-बस्टर बमों की जानकारी और तकनीकी सहायता की—ये केवल B‑2 स्टील्थ बॉम्बर में इस्तेमाल होते हैं ।

अमेरिकी F‑35 बॉम्बर्स या B‑2 बॉम्बर्स के बदले में, सबसे अधिक मदद इज़राइल को इंटेलिजेंस, मध्य-हवाई रिफ्यूलिंग और गाइडेड हथियार उपलब्ध कराने में मिली ।

– फोर्डो का ठिकाना अभी सुरक्षित?

फोर्डो संयंत्र विशेष रूप से भूमिगत है—रॉक की सतह के नीचे लगभग 60-100 मीटर—और इसे नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत ही उन्नत हथियारों की आवश्यकता होगी ।

हालाँकि इज़राइली हमलों से ऊपर की संरचनाओं को क्षति पहुँची और बिजली व्यवस्था क्षतिग्रस्त हुई, लेकिन भूमिगत छिपे केंद्र और संवर्धन मशीनरी (centrifuges) अभी भी बड़े रूप से सुरक्षित हैं ।

अमेरिका ने क्या किया और क्या नहीं?

डायरेक्ट अमेरिकी एयरस्ट्राइक नहीं तकनीकी सहायता गाइडेड बमों, MOP जानकारी, मध्य-हवाई रिफ्यूलिंग, इंटेलिजेंस
डिप्लोमैटिक संतुलन राष्ट्रपति ट्रम्प ने दो सप्ताह तक संधि और कूटनीति को प्राथमिकता दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमले को स्थगित कर राजनयिक रास्ता अपनाने की कोशिश की ।

तेज़ उकसाहटें थीं—विशेष राजनेताओं की ओर से अधिक आक्रामक कार्रवाई की मांग भी हुई—लेकिन अमेरिका ने सीधे हमले से परहेज किया।

अमेरिकी बॉम्बर ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर सीधे हमला नहीं किया, परंतु अमेरिका ने इज़राइल को अत्याधुनिक हथियार, इंटेलिजेंस और लॉजिस्टिक समर्थन प्रदान किया। इसने इज़राइल को भूमि-घसने वाले संशोधित विमान और MOP जैसे हथियारों तक सीमित पहुंच दी।

इससे यह स्पष्ट हुआ कि ईरान के गहरे भूमिगत परमाणु ठिकाने—खासकर फोर्डो—फिलहाल अप्रभावित रह गए हैं, और अमेरिका ने केवल अप्रत्यक्ष सहयोग देकर इस ऑपरेशन को यथासंभव प्रभावी बनाने की कोशिश की।

 

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