Israel-Iran conflict draws America into war: Donald Trump calls ceasefire after attack on Qatar base
वॉशिंगटन / तेहरान / यरुशलम, जून 2025
मध्य-पूर्व में लंबे समय से सुलग रहे इसराइल-ईरान तनाव ने हाल ही में एक खतरनाक मोड़ ले लिया, जब इसराइली एयरस्ट्राइक के जवाब में ईरान ने अमेरिकी नौसेना पर प्रत्यक्ष हमला कर डाला। जवाबी कार्रवाई में अमेरिका ने कतर में स्थित अपने सैन्य अड्डे पर हुए हमले के बाद एक बड़ा कदम उठाते हुए संघर्ष विराम की घोषणा करवा दी।
🔥 घटनाक्रम की टाइमलाइन:
1. इसराइली हमला – ईरानी प्रतिशोध
पिछले हफ्ते इसराइल ने सीरिया में एक ईरानी मिलिशिया ठिकाने पर बड़ी एयरस्ट्राइक की। इस हमले में कथित तौर पर ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कई अधिकारी मारे गए। इसके जवाब में ईरान ने यह घोषणा की कि अब उसका धैर्य समाप्त हो चुका है।
2. अमेरिकी नौसेना पर हमला
22 जून को ईरान ने स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज के पास गश्त कर रही अमेरिकी नौसेना के एक ड्रोन कंट्रोल शिप पर मिसाइल हमला किया। इस हमले में हल्की क्षति की पुष्टि हुई, लेकिन यह अमेरिका के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा गया।
3. कतर बेस पर मिसाइल वर्षा
इसके बाद 23 जून को ईरान ने कतर के अल-उदीद एयरबेस (Al Udeid Air Base) पर एक अप्रत्याशित मिसाइल हमला किया। इस बेस में अमेरिका का सबसे बड़ा सेंट्रल कमांड सेंटर मौजूद है। हमले में 3 अमेरिकी सैनिक घायल हुए और बेस की एक रडार यूनिट नष्ट हो गई।
🇺🇸 ट्रंप प्रशासन की कड़ी प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस घटना को “सीधी युद्ध की कार्यवाही” बताते हुए कहा:
> “हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे।”
ट्रंप प्रशासन ने तुरंत रक्षा सचिव, पेंटागन, और संयुक्त राष्ट्र को आपात बैठक के लिए बुलाया और फिर एक अंतरराष्ट्रीय दबाव के तहत दोनों देशों को संघर्ष विराम (Ceasefire) के लिए राज़ी किया।
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🕊️ संघर्ष विराम और कूटनीतिक प्रयास
यूएन और कई यूरोपीय देशों की मध्यस्थता के बाद दोनों पक्षों ने “तत्काल युद्धविराम” पर सहमति दी। ईरान ने कहा कि यह कदम “मानवता और क्षेत्रीय स्थिरता” को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
अमेरिका ने चेतावनी दी कि अगर भविष्य में ऐसे हमले दोहराए गए तो जवाब और तीव्र होगा।
🌍 विश्लेषण: क्या यह अस्थायी शांति है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह युद्धविराम लंबे समय तक नहीं टिकेगा जब तक इसराइल और ईरान के बीच मूल विवादों का हल नहीं होता।
मध्य-पूर्व विशेषज्ञ डॉ. फहाद रज़ा के अनुसार:
> “यह सिर्फ ‘साइलेंस बिफोर स्टॉर्म’ हो सकता है। अमेरिका की सीधी संलिप्तता भविष्य में और गंभीर परिणाम ला सकती है।”
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