An example of green development is the green belt developed on 16 hectares of waste land at Chanderia Lead Zinc Smelter
चित्तौड़गढ़। भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिं़क के चंदेरिया लेड-जिंक स्मेल्टर में 16 हेक्टेयर वेस्ट लेण्ड पर विकसित ग्रीन बेल्ट हरित विकास का उदाहरण है जिसका दूसरा चरण शुरू हो चूका है। इस परियोजना में माइकोराइजा तकनीक का उपयोग किया गया है, जो पौधों और कवक के बीच सहजीवी संबंध को बढ़ावा देती है, जिससे वनस्पति चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी पनप सकती है। कंपनी ने अपने परिचालन स्थलों पर मियावाकी वृक्षारोपण भी लागू किया है, जिससे कम समय में घने, विविध और तेजी से बढ़ने हरियाली प्रारंभ हो गयी हैं। हिन्दुस्तान जिं़क प्रकृति-संबंधी वित्तीय रिपोर्ट लॉन्च करने वाली पहली भारतीय कंपनी है, जिसका उद्देश्य प्रकृति-संबंधी जोखिमों और अवसरों को रणनीतिक योजना में एकीकृत करना है। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के साथ तीन साल के महत्वपूर्ण सहयोग पर हस्ताक्षर किए हैं।
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने बाघदड़ा नेचर पार्क में मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व को विकसित करने और बढ़ाने के लिए वन विभाग, उदयपुर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू के तहत 5 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिसमें पशु रिजर्व के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस सहयोग का उद्देश्य मगरमच्छ के लिए प्राकृतिक आवास की स्थिति को बढ़ाना, जल संरक्षण उपायों को लागू करना और स्थायी इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विजिटर की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।
वेदांता लिमिटेड की नाॅन एक्जीक्यूटीव डायरेक्टर एवं हिन्दुस्तान जिं़क लिमिटेड की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि, बायो डायवर्सिटी हमारे ग्रह का दिल है। छोटी से छोटी तितली से लेकर बड़े बाघ तक, हर जीव इसकी धड़कन में अहम भूमिका निभाता है। पशु कल्याण और जैव विविधता संरक्षण केवल अतिरिक्त सोच ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी से इनका विकास भी हमारी प्रमुखता है। टीएसीओ और हमारी संरक्षण योजनाओं के जरिए हम पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं और ऐसा भविष्य बना रहे हैं जहाँ पशु और समुदाय साथ-साथ तरक्की करें। मशहूर अभयारण्यों के साथ हमारी साझेदारी प्रकृति के नाजुक संतुलन को बनाए रखने की हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दिखाती है।
यह एमओयू हिन्दुस्तान जिं़क की अपने परिचालन पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता की सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता में प्रमुख मील का पत्थर है। इसके अतिरिक्त, इसके व्यापक वनीकरण प्रयास कार्बन सिंक प्रदान करते हैं। कंपनी ने वन महोत्सव सप्ताह के दौरान राजस्थान और उत्तराखंड में अपनी परिचालन इकाइयों के आसपास 20 लाख से अधिक पौधे लगाकर महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की। कंपनी ने द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के सहयोग से चंदेरिया लेड-जिंक स्मेल्टर में 16 हेक्टेयर बंजर भूमि को समृद्ध ग्रीनबेल्ट में बदलने के दूसरे चरण की भी शुरुआत की है। बंजर भूमि, जिसमें अयस्क से धातु निष्कर्षण के दौरान उत्पन्न अवशिष्ट अपशिष्ट जारोफिक्स है जिसमें पौधे लगाकर हरियाली का कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना में माइकोराइजा तकनीक का उपयोग किया जाता है हिन्दुस्तान जिं़क प्रकृति से संबंधित वित्तीय प्रकटीकरण (टीएनएफडी) रिपोर्ट पर टास्कफोर्स शुरू करने वाली पहली भारतीय कंपनी भी है, जिसका उद्देश्य प्रकृति से संबंधित जोखिमों और अवसरों को रणनीतिक योजना में एकीकृत करना है। इसके अतिरिक्त, कंपनी ने इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कन्जर्वेशन आॅफ नेचर के साथ तीन वर्ष के महत्वपूर्ण सहयोग हेतु हस्ताक्षर किए हैं। हिन्दुस्तान जिं़क ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने, वाटर पाॅजिटिवीटी को बढ़ाने, वेस्ट को रिसाइकिल करने और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए नवीन तकनीकों और लक्षित पहलों को अपनाने में अग्रणी रहा है। कंपनी को जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन में अपने अनुकरणीय प्रयासों के लिए कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट (सीडीपी) से प्रतिष्ठित लीडरशिप बैंड (ए-) पदनाम भी मिला है। हिन्दुस्तान जिं़क अपनी सभी खनन साइटों पर जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) के शुद्ध नुकसान को शून्य करने के लिए लगातार योजना बना रहा है और प्रयास कर रहा है। यह लक्ष्य 2020 के आधार वर्ष के मुकाबले हासिल किया जाएगा और इसमें खदान बंद होने तक की अवधि शामिल है।
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